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कहानीःरात होने से पहले

धारावाहिक कहानी


रात होने से पहले ः अंतिम भाग


लगभग बीस दिन बाद

अब पहले से वह बेहतर फील करने लगा था ।उसका फ्रस्ट्रेशन थोड़ा कम हो गया था ।वह समझ चुका था कि उसे कई महत्वपूर्ण फैसले लेने  पड़ेंगे त भी सब सही होगा।
शुभिता को डिसचार्ज कर दिया गया था। उसके सिर पर भी गहरी इंजरी आई थी ।उसके सिर में भी कई टांके लगे थे ।

बस बिटिया बच गई थी ।पर कैसे!! माता रानी जाने ।

उसका पूरा घर उसके परिवार से भरा हुआ था।उसके माँ  बाप भाई बहन ,शुभिता का पूरा परिवार  सभी आए हुए  थे।

सरीन के खुद पांच टांके सिर में लगे थे।बांये हाथ में सर्जरी भी हुई थी। भले ही खतरे से वह बाहर था लेकिन इस हादसे  ने उसे अंदर तक हिला दिया था।वह अंदर से पूरी तर  से टूट चुका था।
अब चूँकि वह आउट आफ डेंजर था तो फैमिली को मिलने की इजाजत दी गई थी।

सरीन   बहुत दिनों बाद बड़े भाई  विभोर को देख फूट फूट कर रो पड़ा ।
"
भैया..भैया..।"
"भै..ई..या!!मैं दौलत के आगे अंधा हो गया था।मुझे माफ कर दीजिए।"

"अर..रे..,नहीं रे पगले, पगला गए हो क्या। काहे माफी।बस तुम ठीक हो यही बहुत है।"बड़े भाई ने गले लगाते हुए कहा।

"नहीं भैया, मुझसे अपराध हुआ है। कैसे  क्या करूँ।"

"अरे मुन्ना ,गलती  सबसे हो ही जाती है।समय रहते सुधार लेना चाहिए बस!"

भैया ने उसके सिर पर हाथ फेरते  हुए कहा।

"भैया ,एक पूरे परिवार को मैंने बरबाद कर दिया। उसी की सजा मुझे मिल रही है।"

"देखो मुन्ना, गलती तो हुई है हम मानते भी हैं।तुम माधव का इलाज भी करवा रहे हो।फिर  इतना ग्लानि मत लो।आगे अपना भी देखो।पूरी ही जिंदगी पड़ी है।"

तभी उसका असिस्टेंट  विनोद वहां आया।उसने कहा माधव की बिटिया सुगंधा मेडिकल  का  एन्ट्रेंस निकाल लिया है।अब किसी एन जी ओ से मदद मांग रही है ताकि  वह पढ़ाई  कर सके ।
"देखो मुन्ना, तुम चाहो तो उसकी पढ़ाई का खरचा तुम उठा सकते हो।"
तभी नर्स वहां आकर बोली
"चलो,अब पेशेंट का मिलने का टाइम ओवर।चलो अब..।"

"ओ.के. सरीन सर,प्लीज़ टेक केयर।कल मिलते हैं।"

"मुन्ना, अपना ध्यान रखना।"

दोनों चले गए।
शाम तो हो चुकी थी।सूरज अस्ताचलगामी होता जा रहा था, परंतु
रात होने में बाकी था।अभी तो सूरज भी पूरी तरह से नहीं ढला था।सरीन के चेहरे में मुसकान फैल गई।

उसने मोबाइल में से एजूकेशनल चैरिटी संस्थान  का नंबर निकाला और फौन मिलाने लगा।

थोड़ी देर में एक फोन आया।
जी, हम लोग सरस्वती फाउंडेशन से बोल रहे हैं।

सरीन उनसे बोलता जा रहा था...।

,,जी, जी,..हम समझ गए।सर आप भरोसा रखें कि आपका नाम सामने नहीं आएगा। हम मैरिट वाले बच्चों को आधी फीस हम देते हैं ।अब आधी आप  भी दे रहे  हैं...तो फिर एक गरीब बच्ची पढ़ जाएगी।

सर बहुत ही यह नेक काम है।सर ईश्वर आपको तरक्की दे।..कुछ डौक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ेगी।मैं आपको व्हाट्सएप करती हूँ।बस..।
ओ.के. सर, थैंक्यू सर। नाईस औफ द डे सर ।"

"ओ.के. मैम, बट रिमेंबर नो नीड  माई नेम।"

सरीन आज रिलैक्स महसूस किया कई दिनों बाद।वह बाहर छा रही धुंधलके  को देखने लगा था,जो मुस्कुरा रही थी अब जरा


********(समाप्त)*******
स्वरचित और मौलिक
सीमा...✍️✨
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4 Comments

Fauzi kashaf

02-Dec-2021 11:08 AM

Good

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Zaifi khan

01-Dec-2021 09:39 AM

Very good

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Hayati ansari

29-Nov-2021 09:49 AM

Very best

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